विसर्ग-संधि (Visarg Sandhi) किसे कहते हैं? उदाहरण सहित।
विसर्ग-संधि (Visarg Sandhi) किसे कहते हैं?
विसर्ग-संधि -: विसर्ग के बाद स्वर व व्यंजन के आने पर विसर्ग में जो परिवर्तन या विकार उत्पन्न होता है, उसे विसर्ग-संधि कहते हैं।
उदाहरण :
उदाहरण :
नि: + आहार = निराहार
दु: + आशा = दुराशा
तप: + भूमि = तपोभूमि
मन: + योग = मनोयोग
प्रथम शब्द का अंतिम वर्ण विसर्ग (:) + द्वितीय शब्द का प्रथम वर्ण स्वर/व्यंजन
विसर्ग-संधि बनाने के नियम :
1. विसर्ग (:) का 'ओ' हो जाना -: यदि विसर्ग (:) के पहले 'अ' और बाद में 'अ' अथवा प्रत्येक वर्ग का तीसरा, चौथा, पांचवां, वर्ण अथवा 'य', 'र', 'ल', 'व', 'ह' हो तो विसर्ग (:) का 'ओ' हो जाता है।
जैसे -
जैसे -
मन: + अनुकूल = मनोनुकूल
तप: + बल = तपोबल
तप: + भूमि = तपोभूमि
मन: + योग = मनोयोग
पय: + धन = पयोधन
अध: + गति = अधोगति
वय: + वृद्ध = वयोवृद्ध
पय: + द = पयोद
मन: + रथ = मनोरथ
मन: + हर = मनोहर
जैसे -
पुन: + मुद्रण = पुनर्मुद्रण
पुन: + जन्म = पुनर्जन्म
अंत: + धान = अंतर्धान
अंत: + अग्नि = अंतरग्नि
जैसे -
नि: + आशा = निराशा
नि: + धन = निर्धन
नि: + बल = निर्बल
नि: + जन = निर्जन
नि: + धारण = निर्धारण
आशी: + वाद = आशीर्वाद
दु: + बल = दुर्बल
दु: + जन = दुर्जन
दु: + रथ = मनोरथ
बहि: + मुख = बहिर्मुख
जैसे -
नि: + चिंत = निश्चिंत
नि: + छल = निश्छल
दु: + शासन = दुश्शासन
दु: + चरित्र = दुश्चरित्र
जैसे -
नि: + कपट = निष्कपट
नि: + कंटक = निष्कंटक
नि: + ठुर = निष्ठुर
नि: + प्राण = निष्प्राण
नि: + फल = निष्फल
धनु: + टंकार = धनुष्टंकार
अपवाद : दु: + ख = दु:ख
जैसे -
नम: + ते = नमस्ते
मन: + ताप = मनस्ताप
नि: + तेज = निस्तेज
नि: + संताप = निस्संताप
दु: + तर = दुस्तर
दु: + साहस = दुस्साहस
(I) यदि विसर्ग (:) के बाद 'छ' हो तो विसर्ग (:) लुप्त हो जाता है और 'च' का आगमन हो जाता है।
जैसे -
अनु: + छेद = अनुच्छेद
छत्र: + छाया = छत्रच्छाया
जैसे -
नि: + रोग = नीरोग
नि: + रस = नीरस
जैसे -
अतः + एव = अतएव
जैसे -
रज: + कण = रज:कण
प्रात: + काल = प्रात:काल
अंत: + करण = अंत:करण
अंत: + पुर = अंत:पुर
अध: + पतन = अध:पतन
पुन: + फलित = पुन:फलित
जैसे -
नम: + कार = नमस्कार
पुर: + कार = पुरस्कार
हिन्दी की कुछ विशेष संधियां :
संस्कृत की संधियों के अतिरिक्त हिन्दी की कुछ विशेष संधियां हैं।
अभी तक इनके नियम स्पष्ट नहीं हैं तथापि कुछ का परिचय निम्नलिखित इस प्रकार है -
1. 'आ' का 'अ' हो जाना :
उदाहरण -
आम + चूर = अमचूर
हाथ + कड़ी = हथकड़ी
राज + वाड़ा = रजवाड़ा
लड़का + पन = लड़कपन
कान + कटा = कनकटा
2. 'इ', 'ई' के स्थान पर 'इय्' का हो जाना :
उदाहरण -
शक्ति + आँ = शक्तियाँ
देवी + आँ = देवियाँ
3. 'ई', 'ऊ' का क्रम से 'इ', 'उ' हो जाना :
उदाहरण -
नदी + आँ = नदियाँ
वधू + एँ = वधुएँ
4. 'ह' का 'भ' हो जाना :
'जब', 'तब', 'कब', 'सब', 'अब' आदि शब्दों के पीछे 'ही' आने पर 'ही' के 'ह' का 'भ' हो जाता है।
उदाहरण -
जब + ही = जभी
कब + ही = कभी
तब + ही = तभी
सब + ही = सभी
5. 'ह' का लोप :
(I) कभी-कभी कुछ शब्दों की संधि होने पर किसी एक ध्वनि का लोप हो जाता है, जैसे 'ही' में 'ह्' का लोप हो जाता है।
उदाहरण -
यह + ही = यही
किस + ही = किसी
वह + ही = वही
उस + ही = उसी
(II) कभी-कभी दोनों शब्दों की ध्वनियों में भी लोप हो जाता है।
पहले शब्द से 'आ' स्वर का लोप तथा दूसरे शब्द से 'ह' व्यंजन का लोप हो जाता है और अनुनासिकता दूसरे स्वर पर पहुंच जाती है।
उदाहरण -
वहाँ + ही = वहीं
कहाँ + ही = कहीं
यहाँ + ही = यहीं
जहाँ + ही = जहीं
Very nice
ReplyDeleteगजब स्टोरी
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